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ओ मेरे अंदर की दुनिया अक्सर बैठे-बैठे मैं ना जाने कहां गुम हो जाती हूं अपनी बनाई दुनिया में, ना जाने क्यों कैद हो कर रह जाती हूं फिर लाखों करूं ...